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विश्वकर्मा जी ने किया था इस सूर्य मंदिर का निर्माण

आपने कई सूर्य मंदिरों के बारे में सुना और देखा होगा, लेकिन बिहार के औरंगाबाद जिले के देव स्थित प्राचीन सूर्य मंदिर अनोखा है. कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण स्वयं भगवान विश्वकर्मा ने एक रात में की थी. यह देश का एकमात्र ऐसा सूर्य मंदिर है, जिसका दरवाजा पश्चिम की ओर है. ऐसा कहा जाता है कि छठ …

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सिर्फ नागपंचमी पर ही खुलते हैं इस मंदिर के पट…

नाग पंचमी का पर्व बहुत हर्ष उल्लास के साथ पूरे देश में मनाया जाता है. देश के मध्य प्रदेश में एक ऐसा मंदिर है जो सिर्फ नाग पंचमी के अवसर पर ही खुलता है… दशमुखी सर्प शय्या पर विराजमान हैं भोले भंडारी नागचंद्रेश्वर मंदिर में 11वीं शताब्दी की एक अद्भुत प्रतिमा है, इसमें फन फैलाए नाग के आसन पर शिव-पार्वती …

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500 साल पहले इस गुरुद्वारे की खुद गुरुनानक जी ने की थी स्थापना

इस गुरुद्वारे का नाम है नानक प्याऊ गुरुद्वारा. अब आप लोग सोच रहे होंगे की इस गुरुद्वारे का नाम नानक प्याऊ क्यों है? भला ये कैसा नाम हुआ? तो आपको बताते है इस नाम के पीछे की पूरी कहानी. दरअसल, जब गुरुनानक जी पहली बार दिल्ली आए तब वो इसी जगह पर रुके थे. वाहे गुरु जी दा खालसा, वाहे …

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इसलिए की जाती है आंवले के पेड़ की पूजा

सनातन संस्कृति में व्रत, त्योहारों और उत्सवों को एक माला की तरह पिरोकर मानव जीवन के लिए प्रस्तुत किया गया है। संस्कारों के इन्हीं सूत्रों से मानव जीवन समृद्ध होता है। इसके तहत त्योहारों का प्रकृति से सामंजस्य स्थापित किया गया है। जिसमें नदी, पहाड़ों, सरोवरों और पेड़-पौधों की उपासना और उनकी पूजा का प्रावधान किया गया है। प्रकृति की …

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जानिए पूजन का विधान

वर्षभर आने वाले व्रतों में कार्तिक शुक्ल नवमी का विशेष महत्व है। इस व्रत को आंवला नवमी, धात्री नवमी, कुष्मांड नवमी तथा अक्षय नवमी भी कहते हैं। इस दिन स्नान, पूजन, तर्पण तथा अन्न के दान से अनंत फल मिलता है। पद्यपुराण में वर्णन है कि आंवला वृक्ष साक्षात विष्णु का ही स्वरूप है। आंवले का वृक्ष साक्षात भगवान विष्णु …

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