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श्रीगणेश पूजन विधि

सामग्री श्रीगणेश की मूर्ति, चावल, कुमकुम, दीपक, धूपबत्ती, दूध, दही, घी, शहद, शकर, साफ जल, श्री गणेश के लिए वस्त्र, सफेद फूल, नैवेद्य (मिठाई और फल), अष्टगंध। संकल्प किसी विशेष मनोकामना के पूरी होने की इच्छा से किए जाने वाले पूजन में संकल्प की जरूरत होती है। निष्काम भक्ति बिना संकल्प के भी की जा सकती है।       …

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श्रीहनुमान पूजन की विधि

सामग्री देव मूर्ति के स्नान के लिए तांबे का पात्र, तांबे का लोटा, जल का कलश, दूध, देव मूर्ति को अर्पित किए जाने वाले वस्त्र व आभूषण। सिंदूर, दीपक, तेल, रुई, धूपबत्ती, फूल, चावल। प्रसाद के लिए फल, मिठाई, नारियल, पंचामृत, सूखे मेवे, शक्कर, पान, दक्षिणा । सकंल्प पूजन शुरू करने से पहले सकंल्प लें। संकल्प करने से पहले हाथों …

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Significance of Aarti

The devoted worship (Upasana) of the highest entity (Parameshwar), in its form with all its attributes is of great importance. For the ordinary man, the abstract idea, the formless concept of God, has always been incomprehensible. That is why worship (puja) performed with all its different accessories of the idol with flowers, garments and ornaments creates in the mind of …

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पौराणिक एवं प्रामाणिक कथा : सीता नवमी

सीता नवमी की पौराणिक कथा के अनुसार मारवाड़ क्षेत्र में एक वेदवादी श्रेष्ठ धर्मधुरीण ब्राह्मण निवास करते थे। उनका नाम देवदत्त था। उन ब्राह्मण की बड़ी सुंदर रूपगर्विता पत्नी थी, उसका नाम शोभना था। ब्राह्मण देवता जीविका के लिए अपने ग्राम से अन्य किसी ग्राम में भिक्षाटन के लिए गए हुए थे। इधर ब्राह्मणी कुसंगत में फंसकर व्यभिचार में प्रवृत्त …

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आओ जानें : कौन-सा धर्मग्रंथ कब लिखा गया ?

आजकल किसी भी संप्रदाय के ग्रंथ को धर्मग्रंथ ही कहा जाता है। धर्मग्रंथ किसी भी संप्रदाय या धर्म का आधार होता है। जिस संप्रदाय के पास अपना कोई एक धर्मग्रंथ नहीं, उसका कोई वजूद नहीं। धर्मग्रंथों में जहां इतिहास और कानून की बातें होती हैं वहीं उनमें धर्म की बातें भी होती हैं। धर्म की बात से तात्पर्य यह कि …

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