श्रीरामचरित मानस लिखने के दौरान तुलसीदासजी ने लिखा- सिय राम मय सब जग जानी; करहु प्रणाम जोरी जुग पानी! अर्थात ‘सब में राम हैं और हमें उनको हाथ जोड़कर प्रणाम करना चाहिए।’ यह लिखने के उपरांत तुलसीदासजी जब अपने गांव की तरफ जा रहे थे तो किसी बच्चे ने आवाज दी- ‘महात्माजी, उधर से मत जाओ। बैल गुस्से में है …
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महाभारत : इसलिए युधिष्ठिर को देखना पड़ा था नरक
कहते हैं कि युधिष्ठिर ही एकमात्र ऐसे पांडव थे जिन्होंने सशरीर स्वर्ग में प्रवेश किया था। स्वर्ग जाकर युधिष्ठिर ने जब अपने भाइयों को नहीं देखा तो देवताओं से कहा कि मेरे भाई तथा द्रौपदी जिस लोक में गए हैं, मैं भी उसी लोक में जाना चाहता हूं। मुझे उनसे अधिक उत्तम लोक की कामना नहीं है। तब देवताओं ने कहा कि …
Read More »अद्भुत हैं यक्ष द्वारा युधिष्ठिर से पूछे गए प्रश्न, जानिए दूसरा प्रश्न
आप भी अपने जीवन में कुछ प्रश्नों के उत्तर ढूंढ ही रहे होंगे। यदि ऐसा है तो निश्चित यक्ष द्वारा युधिष्ठिर से पूछे गए प्रश्नों को पढ़ना चाहिए। निश्चित ही उसमें से एक प्रश्न आपका भी होगा। अब सवाल यह उठता है कि यक्ष ने युधिष्ठिर से क्यों पूछे थे ये प्रश्न? तो इसके लिए पढ़िये छोटी-सी कथा और फिर …
Read More »कल्याणकारी है श्री तुलसी चालीसा, प्रतिदिन अवश्य करें इसका पाठ
तुलसी चालीसा के नियमित पाठ से आरोग्य और सौभाग्य का वरदान तो मिलता ही है साथ ही जीवन में पवित्रता आती है और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। अगर नियमित तुलसी चालीसा न पढ़ सकें तो देव प्रबोधिनी एकादशी पर इसका वाचन अवश्य करें… ।। श्री तुलसी चालीसा ।। ।। दोहा ।। जय जय तुलसी भगवती सत्यवती सुखदानी। नमो नमो …
Read More »मेनका के सामने हार गए विश्वामित्र लेकिन उर्वशी के सामने नहीं हारे मार्कण्डेय ऋषि,
आपको विश्वामित्र और मेनका की कथा तो मालूम ही होगी। मेनका ने विश्वामित्र की तपस्या भंग कर दी थी। विश्वामित्र मेनका पर मोहित हो गए थे और फिर उन्होंने उससे विवाह कर अपना अगल संसार बसा लिया था। लेकिन मार्कण्डेय ऋषि जब तपस्या करने लगे तो इंद्र को फिर से अपना सिंहासन खतरे में नजर आया। तब उन्होंने मार्कण्डेय की तपस्या भंग …
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